स्थानीय समुदायों की मदद से पहाड़ी तेंदुओं को बचाना (in Hindi)
ORIGINAL ENGLISH STORY WRITTEN SPECIALLY FOR VIKALP SANGAM
लद्दाख में पहाड़ी तेंदुओं की एक अच्छी-खासी आबादी पायी जाती है। यह धरती के कुछ ऐसे प्राणियों में से एक है जो लगातार लुप्त होता जा रहा है। पहाड़ी तेंदुआ एक हसींन और करिश्माई जानवर होता है मगर जिन लोगो के घर-बार इन बिल्लियों के इलाके में पड़ते हैं वे इन्हे नफरत की नजर से देखते हैं। उन्हें यह एक हानिकारक परजीवी ही दिखायी देता है। यह जाहिर सी बात है क्योंकि पहाड़ी तेंदुआ अकसर पालतू भेड़-बकरियों को भी मारकर खा जाता है जबकि स्थानीय किसानों की रोजी-रोटी इन मवेशियों से होने वाली कमाई पर ही निर्भर रहती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए तकरीबन १२ साल पहले दी स्नो लेपर्ड कंज़र्वेन्सी इंडिया ट्रस्ट (SLC-IT) का गठन किया गया था ताकि इंसानों और जंगली जीवों के बीच होने वाले इस टकराव को रोका जा सके। लद्दाखी पर्वतारोही और प्रकृतिविद श्री रिन्चेन वांगचुक भी इसके संस्थापकों में से एक थे। श्री वांगचुक जैसे उत्साही लोगों की कोशिशों से ही आज SLC-IT पहाड़ी तेन्दुओं और हिमालयी जंगलों को बचाने में सबसे कामयाब संगठनों के शुमार किया जाने लगा है| इसी संगठन की बदौलत आज लद्दाख भर के बहुत सारे गावों को अपने आसपास के पहाड़ों में पहाड़ी तेंदुओं की चहलकदमी से तरह-तरह के फायदे मिल रहे हैं।
शिकार की टोह में निकला पहाड़ी तेंदुआ, फोटो: जिगमेत दादुल
Sthaaniya samudaayon ki madad se pahaadi tenduon ko bachaanaa (in Hindi)
Contact author of original story in English, by Tsewang Namgail
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(The snow leopard was considered to be a despised pest; now it is seen as a valuable tourism asset - by Norbu, as also by scores of other villagers...)
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